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युवतियों और महिलाओं के साथ chedchad में पश्चिमी संस्कृति का दुष्प्रभाव

jantantra ki awaj
jantantra ki awaj
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आजकल आये दिन महिलाओं और युवतियों के साथ chedchad का मामला देखने और सुनने में आ रहा है जैसा की हम सभी जानते है भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक सभ्यता पश्चिमी सभ्यता से अलग है पश्चिम देशो में शादी विवाह की कोई मान्यता नहीं है वहां के लड़के लड़कियां अपनी मर्जी के मालिक है जब चाहा किसी से सम्बन्ध बना लिया जब चाहा छोड़ दिया और वहां की वेशभूषा और पहनावा भी इसी आधार पर तय किये गए है क्योंकि वहां पर युवक युवतियों के आपसी सम्बन्ध में न तो सामाजिक रोकटोक है न ही सरकारी रोकटोक है इसलिए वहां chedchad के मामले कम देखने में आते है लेकिन भारत में स्थिति बिलकुल विपरीत है यहाँ पर विवाह के लिए सामाजिक और पारिवारिक बंधन होते है और कानून की दृष्टि से भी विवाह की आयु निश्चित होती है ऐसे में युवतियों के पहनावे पश्चिमी संस्कृति के आधार पर नहीं होने चाहिए यदि हम सारी सभ्यताएँ सामाजिक तौर पर अपनाते हैं तो पहनावे में भी भारतीय संस्कृति के पहनावे पहनने चाहिए एक तरफ लडके पुरे शरीर को ढकने वाले वस्त्र पहेन रहे हैं दूसरी तरफ लड़कियां और महिलाएं अंग प्रदर्शन वाले वस्त्र पहन रही है ऐसे में जाहिर है की बढती उम्र के साथ लड़के लड़कियों की तरफ आकर्षित होंगे और chedchad जैसी घटनाएँ होना स्वाभाविक है माता पिता को भी चाहिए की अपनी लड़कियों को सामाजिक संस्कृति के हिसाब से ही वस्त्र धारण करने को कहे chedchad के मामले में केवल लड़के ही दोषी नहीं है काफी हद तक लड़कियां भी दोषी हैं वह भी बेहुदे ढंग के कपडे पहनकर और अपने अंगो को दिखा दिखा कर लडको को अपनी और आकर्षित करती है यदि प्रत्येक व्यक्ति और समाज के लोग अपनी लड़कियों को ढंग के पहनावे पहनावे तो काफी हद तक chedchad की घटना समाप्त हो सकती है ऐसी घटनाओं के लिए काफी हद तक टीवी में आने वाले अर्ध्नागन महिलाओं के विज्ञापन भी जिम्मेदार हैं सरकार को इस पर रोक लगानी चाहिए

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