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यह शिवजी का स्तोत्र है जो इसका पाठ करता है उससे शिवजी प्रसन्न होते है और उसे संपत्ति धन प्रदान करते है तो यह धार्मिक रचना में इस ब्लॉग में लोक कल्याणार्थ समर्पित करती हूँ
ॐ अस्य श्री रुद्राष्टक स्तोत्र मंत्रस्य श्री वशिस्ठ ऋषि श्री विष्णु देवता पारवती बीजं रूद्र शक्ति रुद्राष्टक मंत्रस्य पाठे विनियोगः
नमामि शमीशान निर्वाण रूपं
विभु व्यापकं ब्रह्मवेद स्वरूपं
निजं निर्गूनं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाश माकाश वासं भजेहं
नमामि शमीशान निर्वाण रूपं
कलातीत कल्पान्त कल्पान्त कारी
न यावद उमानाथ मोहापहारी
न यावद उमानाथ पद्रविन्दम
मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरं
इस्स्फुलोमनी kantholani चारुगंगा
लासद्भाल बालेन्दु कंठे भुजंगा
चलत कुण्डलं भू सुनेत्रं विशाल
अखन्दम अजः शंकरं च दयालं
नमामि शमीशान निर्वाण रूपं विभु व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं
निराकार मोंकार मुलं तुरीयं
शिवम् शंकरं सर्वनाथं भजामि
नमामि शमीशान निर्वाण रूपं विभु व्यापकं ब्रह्मस्वरूपं
श्लोक
रुद्रश्त्कमिदम प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषाम शम्भू प्रसीदति
अब में इस रचना को एक श्लोक के द्वारा पूर्ण करना चाहूंगी
हरम शिव शंकर गौरिषम
वन्दे गंगाधर मिषम रुद्रं पशुपतिनाथं कलये काशी पूरी नाथं
हर हर महादेव
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