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साधू ऐसा चाहिए जैसा सुख सुहाय
सार सार को गहिर है थोथा देय उदाय
कबीरदास जी के इस दोहे के साथ ही में साफ़ सुथरे और महान तथा गंभीर व्यक्तित्व वाले माननीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी के विषय में यह कहना अतिशयोक्ति नहींहोगा की वह वटवृक्ष की तरह विशाल व्यक्तित्व और सरल शांत स्वभाव के व्यक्ति है उन्होंने हमेशा देश की सेवा की है चाहे वह किसी भी पद पर रहे हो उन्होंने कभी अपने पद का दुरूपयोग नहीं किया पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गाँधी जी भी उनका बहुत सम्मान करती थी स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा जी के समय में जब देश की आर्थिक स्थिति डामाडोल हो रही थी उस समय उन्होंने वित्तमंत्री के पद पर रहकर देश को मंदी के दौर से बचाया हमें यह मालूम होना चाहिए की किसी भी देश का भविष्य उसकी अर्थव्यवस्था पर निर्भर रहता है प्रधानमंत्री जी ने हमेशा इसी बात का ध्यान रखा की देश की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में कायम रहे मनमोहन सिंह जी मौन व्यक्तित्व वाले महान बुद्धिजीवी व्यक्ति है तभी तो जब अन्ना जी का आन्दोलन विकराल रूप ले रहा था और जनता सरकार का पुरजोर विरोध कर रही थी उस समय विपक्ष भी सरकार को बुरा भला कह कर जनता का साथ दे रही थी ऐसे समय में प्रधानमंत्री जी के गंभीर शालीन और दिल को छु लेने वाले भाषण ने जनता के दिल पर ऐसा प्रभाव डाला की बोखलाए हुए देशवासी शांत होकर बैठ गए इस तरह का प्रभाव उसी के भाषण में हो सकता है जिसकी अंतरात्मा में ज्ञान का अपार भंडार होता है और जो स्वयं भी बुराई से दूर रहते हुए भ्रस्ताचार को समाप्त करना चाहता है वह तो गन्दी राजनीती में रहते हुए खिलते कमल की तरह हैं सच कहा जाये तो वर्त्तमान समय में कांग्रेस सरकार उन्ही की वजह से टिकी है अंत में में उनके इस महान व्यक्तित्व के बारे में ज्यादा कुछ न कहते हुए केवल इतना ही कहूँगी की
जो रहीम उत्तम प्रकृति का करी सकत कुसंग
चन्दन विष व्यापक नहीं लिपटे रहत भुजंग
लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार है
देशहित में श्रीमती पुष्पा पाण्डेय
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